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गुजरात चुनाव में जैसे-तैसे जीत मिलने पर RSS नाराज, BJP में बडे फेरफार की आशंका

     गुजरात विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रदर्शन से राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (RSS) नाराज है. मध्य प्रदेश के उज्जैन में RSS की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई. सूत्रों के हवाले से  मीडिया को मिली जानकारी के मुताबिक संघ ने बीजेपी के नेतृत्व में बदलाव करने का फैसला ले सकता है. बताया जा रहा है कि गुजरात चुनाव पर परिणाम पर संघ और बीजेपी के पदाधिकारियों की हुई बैठक में फैसला लिया गया कि पार्टी में फेरफार की जरूरत है. इसके तहत पार्टी के कई पदाधिकारयों की जिम्मेदारी में बदलाव किया जा सकता है. यह भी चर्चा है कि बीजेपी में कुछ नए चेहरों को भी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।    
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         मालूम हो कि गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने भले ही जीत दर्ज की है, लेकिन ज्यादातर प्रत्याशियों के हार-जीत का अंतर काफी कम है. यहां बीजेपी को 99 और कांग्रेस को 80 सीटें मिली हैं. वहीं तीन सीटें अन्य के खाते में गई हैं. कांग्रेस ने चुनाव में  41.4 फीसदी वोट हासिल किए हैं. सीटों के हिसाब से जीत का अंतर कम होने के चलते गुजरात में बीजेपी के सामने राजनीतिक चुनौतियां भी पैदा हो गई हैं. पटेल समुदाय से आने वाले उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल और कोली समुदाय से आने वाले मंत्री पुरुषोत्तम सोलंकी अपने विभाग के लेकर नाराजगी जता चुके हैं. हालांकि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने इन दोनों नेताओं को मनचाहा विभाग देने का आश्वासन देकर शांत करा दिया है. वहीं नाराज चल रहे बीजेपी के बड़े नेताओं को कांग्रेस धड़े से प्रस्ताव दिए जा रहे हैं कि वे 10-12 विधायक को तोड़कर लाते हैं तो वे उन्हें नई सरकार गठन में बड़ी जिम्मेदारी सौंप दे सकते हैं।
          मध्यप्रदेश की महाकाल नगरी उज्जैन इन दिनों भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राजनीति का केंद्रबिंदु बना हुआ है. यहां पार्टी को राह दिखाने वाले संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत 30 दिसंबर से ही डेरा डाल हुए हैं. शुक्रवार (5 जनवरी) को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने इंदौर होते हुए उज्जैन पहुंचकर भागवत से 'बंद कमरे में' चर्चा की. भागवत से मिलने शाह विमान से इंदौर आए और वहां से उज्जैन पहुंचे. लगभग तीन घंटे के उज्जैन प्रवास के दौरान शाह का भागवत से मुलाकात करना प्रमुख रहा. सूत्रों के मुताबिक, भागवत और शाह के बीच देश की राजनीतिक स्थिति के साथ ही मध्यप्रदेश के संदर्भ में चर्चा हुई. पार्टी में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं. सवाल सिर्फ एक है कि यह बदलाव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मर्जी से होगा या संघ तय करने वाला है।        
          भागवत से मुलाकात के बाद शाह ने मुख्यमंत्री शिवराज के साथ शैव कला संगम प्रदर्शनी का अवलोकन किया. शाह ने प्रदर्शनी-स्थल पर भगवान शिव की प्रतिमा के समक्ष दीप जलाया. उन्होंने प्रदर्शनी को देखा और सराहा. मुख्यमंत्री ने शाह को प्रदर्शित प्रादर्शो की जानकारी दी. प्रदर्शनी-स्थल पर मुख्यमंत्री चौहान एवं सिंहस्थ कुंभ केंद्रीय समिति के अध्यक्ष माखन सिंह चौहान ने अमित शाह को दुपट्टा ओढ़ाकर सम्मानित किया. शाह और शिवराज ने बाबा सत्यनारायण मौर्य की 'शिवोहम-शिवोहम' चित्रमाला का अवलोकन भी किया. चित्रमाला में भगवान शिव के विभिन्न स्वरूपों पर आधारित चित्र आकर्षक रूप से प्रदर्शित किए गए हैं. अवलोकन के बाद दोनों अतिथियों ने चित्रमाला की प्रशंसा की।
         संघ प्रमुख महात्मा गांधी का जिक्र तो करते हैं, लेकिन उनके प्रिय भजन- 'ईश्वर-अल्ला तेरो नाम, सबको सन्मति दे भगवान' की चर्चा कभी नहीं करते, क्योंकि गांधी के इस मूलमंत्र से उनके संगठन का उद्देश्य और हित सधने वाला नहीं है. भागवत ने कहा, "भारत सिर्फ धरती नहीं है, वह धरती तो है ही, हमारी माता भी है, उसके अखंड स्वरूप के प्रति भक्ति का भाव चाहिए. भक्ति का अर्थ है, उससे सतत् जुड़े रहना. उसके प्रति सतत् मन में भाव होना चाहिए. उसी के लिए हमारा जीवन है, उसके लिए मरना भी पड़े तो यह हमारा सौभाग्य है. भागवत ने आगे कहा, "हमारे यहां कहा गया है कि सारी वसुधा कुटुंब है, यह सही बात है. भारत में ऐसा जीवन खड़ा करेंगे, जिसमें सारी पृथ्वी और सृष्टि को अपना परिवार मानकर भारत को होनहार सुपुत्र की तरह परम वैभव, संपन्न, समरस, संपूर्ण, षोषण मुक्त होकर अवतरित होने से संपूर्ण दुनिया का चित्र बदलेगा।
          भागवत ने आगे कहा कि भारत माता के प्रति भक्ति का भाव और भारत को अवतरित करने के लिए अपने को बदलना होगा. अपने को बदलने के लिए संकल्प जरूरी है, संकल्प के मुताबिक, अपने को बनाना साधना है. इसके लिए निष्ठुर और कठोर भाव से अपनी एक एक चीज का परीक्षण करना होगा. इसमें मन सबसे ज्यादा बाधा डालता है, लिहाजा उससे बचना होगा. भागवत ने हिंदू धर्म का जिक्र करते हुए कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था, "हिंदू धर्म सत्य की सतत साधना है. इस सत्य की सतत् साधना में जीना होगा।
         अफसोस की बात यह है कि आजकल राजनीति में सत्य के बजाय असत्य का प्रयोग ज्यादा होने लगा है, प्रधानमंत्री तक पर असत्य बोलने का आरोप लगता है और संसद में उनके मंत्री सफाई देकर इस ओर इशारा करते हैं कि वह तो चुनावी जुमला था. यानी प्रधानमंत्री ने जो कहा, उसे सत्य न माना जाए. ऐसे में भागवत के उपदेश किसके लिए हैं, यह गहरे मंथन का विषय है. इस मौके पर साध्वी ऋतंभरा, संघ के भैयाजी जोशी सहित अनेक लोग मौजूद रहे. लाल पत्थर से बने मंदिर में भारतमाता की संगमरमर की प्रतिमा स्थापित है।
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