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महाराष्ट्र पुणे में नए साल के अवसर पर हुई जातीय हिंसा के बाद महाराष्ट्र पुलिस सर्तक हो गई है. मुंबई में दलित नेता जिग्नेश मेवाणी और उमर खालिद के कार्यक्रम पर पुलिस ने रोक लगा दी है. पुलिस ने उमर तथा जिग्नेश के मुंबई प्रवेश पर रोक लगा दी है. पुलिस ने जहां कार्यक्रम होना था उस ऑडिटोरियम को सील कर दिया है. कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सैकड़ों छात्र सभा स्थल पर जमा होने लगे और पुलिस की इस कार्रवाई का विरोध करने लगे. पुलिस ने विरोध करने वाले छात्रों को हिरासत में ले लिया है. छात्रों का आरोप है कि उनका कार्यक्रम शांतिपूर्वक ढंग से होने जा रहा था, पुलिस बीच में आकर माहौल को खराब करने की कोशिश की जा रही है. पुलिस की इस कार्रवाई पर छात्र वहां धरना देकर बैठ गए ।कार्यक्रम के संयोजक छात्र भारती संगठन के उपाध्यक्ष सागर भालेराव ने बताया कि आज विलेपार्ले के भाईदास हॉल में अखिल भारतीय छात्र समिट होने जा रही थी, लेकिन पुलिस ने पूरे इलाके को घेरकर यहां एंट्री पर रोक लगा दी है. कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रदेशभर से छात्र यहां इकट्ठा हो रहे हैं. इस कार्यक्रम में जिग्नेश मेवाणी और उमर खालिद को भी आमंत्रित किया गया था. उधर, पहली जनवरी को हुई हिंसा को लेकर पुणे के विश्रामबाग पुलिस स्टेशन में जिग्नेश मेवाणी और उमर खालिद के खिलाफ धारा 153 (ए) 505 तथा 117 के तहत मामला दर्ज किया गया है ।
गुरुवार को भीमा-कोरेगांव हिंसा के मुद्दे को कांग्रेस की सांसद रजनी पाटिल, सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने राज्यसभा में उठाया और हिंसा की जांच के लिए एक आयोग के गठन की मांग की. भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा के बाद विरोध की लहर महाराष्ट्र को पार करती हुई अन्य राज्यों में भी पहुंच गई है. प्रदर्शनकारियों ने आज जूनागढ़ में राजकोट-सोमनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग को बंद कर विरोध दर्ज कराया. गुजरात के धोराजी में कुछ उपद्रवियों ने एक बस में भी आग लगा दी थी, हालांकि इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ। बता दें कि पुलिस ने आरोप लगाया है कि 31 दिसंबर को पुणे के भीमा-कोरेगांव में जिग्नेश मेवाणी और उमर खालिद के भीड़ को भड़काने के बाद पहली जनवरी को हिंसा भड़की थी. इस हिंसा में एक आदमी की मौत हो गई और बड़े पैमाने पर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया. पुलिस ने हिंसा के लिए इन दोनों नेताओं के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली है. इस हिंसा के बाद कल तीन जनवरी को दलित संगठनों ने महाराष्ट्र बंद का आयोजन किया था. इस दौरान भी कई जगहों पर हिंसा और तोड़फोड़ हुई थी ।
भीमा कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ से जुड़े कार्यक्रम के बाद भड़की हिंसा के विरोध में आहूत महाराष्ट्र बंद ने बुधवार (3 जनवरी) को हिंसक रूप ले लिया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने मुंबई में विभिन्न स्थानों पर बसों को निशाना बनाया, उपनगरीय ट्रेनों को रोका और सड़कों को अवरूद्ध कर दिया. इससे जनजीवन खासा प्रभावित हुआ. बंद को बाद में वापस ले लिया गया. दलित समुदाय के लोगों ने उपनगरीय चेम्बूर, घाटकोपर, कामराज नगर, विक्रोली, दिंडोशी, कांदिवली, जोगेश्वरी, कालानगर और माहिम में प्रदर्शन किया. सैकड़ों प्रर्दशनकारियों ने वेस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे को अवरुद्ध करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें वहां से हटा दिया.
Post by : P. S. Patel
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